भगवान
शिव का परिवार
भारतीय
पौराणिक कथाओं में प्राथमिक हिंदू त्रिमूर्ति (त्रिमूर्ति) देवताओं में से एक भगवान
शिव हैं। उन्होंने देवी पार्वती से शादी की
और हिमालय में कैलाश पर्वत की गुफाओं में
निवास किया।कार्तिकेय और गणेश शिव और पार्वती
के दो पुत्रों के नाम थे; अशोक सुंदरी उनकी बेटी थी। शिव और पार्वती की पहली संतान,
कार्तिकेय, गणेश के बड़े भाई थे। कार्तिके के नाम कुमार और शनमुख भी हैं।एक बार शिव
और कार्तिकेय कैलाश पर्वत को छोड़कर राक्षसों से युद्ध करने के लिए गए उन लोगों के
जाने के बाद माता पार्वती को बहुत अकेलापन सा महसूस होने लगा अपने अकेलेपन को दूर करने
के लिए वह दिव्य वृक्ष अशोक के पास गई और एक बेटी प्राप्त करने की याचना की तब उस दिव्य
वृक्ष की कृपा से माता पार्वती को एक सुंदर पुत्री प्राप्त हुई जिसका नाम अशोक सुंदरी
रखा गया भगवान गणेश शिव और पार्वती के सबसे छोटे संतान थे वह सबसे लोकप्रिय देवता माने
जाते हैं उन्हें विघ्नहर्ता माना जाता है और बुद्धि का देवता भी कहा जाता है ऐसा कहा
जाता है कि भगवान गणेश की रचना माता पार्वती ने चंदन और हल्दी के लेप से की थी यह लेप
माता पार्वती ने स्नान करने से पहले अपने शरीर को शुद्ध करने के लिए बनाया था
शिव और उनके
सेवक
भगवान शिव
के कई भक्तगण थे जिनके चेहरे बहुत भयानक और अलौकिक थे उनमें से सबसे प्रमुख नंदी थे
नंदी को भगवान शिव का वाहन और उनका द्वारपाल भी कहा जाता है पौराणिक कथाओं में कहा
जाता है कि नंदी ऋषि शिलाद के पुत्र थे जोकि भगवान शिव की बहुत बड़े भक्त थे उन्होंने
एक बार तपस्या की और भोलेनाथ से कहा कि उन्हें हमेशा अपने साथ रखें भोलेनाथ मुस्कुराए
और नंदी को सहस स्वीकार कर लिया तब भोलेनाथ जी ने नंदी को बताया कि उन्होंने अपना बैल
खो दिया जिस पर भोलेनाथ यात्रा किया करते थे इसी कारण नंदी को एक बैल का चेहरा मिलेगा
और वह भोलेनाथ का वाहन होगा तथा उन्होंने नंदी से यह भी कहा कि आप हमेशा मेरे दोस्त
बने रहेंगे और हमेशा साथ रहेंगे
भोलेनाथ की
गणों में नंदी सबसे खास थे वीरभद्र और शिव के समस्त गण नंदी की आज्ञा का पालन करते
थे शिव के समस्त गण शिव भक्ति में हमेशा लीन रहते थे और भोलेनाथ की आज्ञा का पालन करते
थे
सभी गण माता
पार्वती से ज्यादा भोलेनाथ की आज्ञा का पालन करते थे 1 दिन माता पार्वती स्नान करने
जा रहे थे तब उन्होंने नंदी से कहा कि दरवाजे पर पहरा दे और कोई भी अंदर ना आ सके ऐसा
कहकर माता पार्वती स्नान के लिए चली गई और नंदी दरवाजे पर पहरेदारी करने लगा कुछ देर
बाद भोलेनाथ वहां पहुंचे नंदी बहुत भ्रमित हो गए नंदी भोलेनाथ के बहुत बड़े भक्त थे
उन्होंने सोचा मैं स्वामी को अपने ही घर में प्रवेश करने से कैसे रोक सकता हूं अतः
उन्होंने भोलेनाथ से कुछ नहीं कहा जब भोलेनाथ अंदर गए तब माता पार्वती उन्हें सामने
देख कर बहुत शर्मिंदा हुई वह शिव जी के अचानक प्रवेश से प्रश्न नहीं थी और वह नंदी
की इस असावधानी से बहुत क्रोधित हुई उन्हें ऐसा महसूस होने लगा कि यहां के समस्त गण
सिर्फ शिव जी के वफादार हैं मुझे भी कोई ऐसे व्यक्ति की आवश्यकता है जो मेरी भी आज्ञा
का पालन करें जब भोलेनाथ कुछ दिनों बाद पर्वत पर चले गए तब माता पार्वती ने भगवान गणेश
की रचना की.
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