ट्रांसजेंडर
किन्नर जिन्हें ट्रांसजेंडर भी कहां जाता है.किन्नरों का अस्तित्व दुनिया के हर देश में है. समाज में हर व्यक्ति
किन्नर कौन है जानते हैं ये समाज का एक हिस्सा होते हुए भी समाज से बिल्कुल अलग होते हैं किन्नरों की अपनी अलग दुनिया है जिसके बारे में आम लोग कम ही जानते हैं किन्नर भी आम इंसान ही होते है पर उन्हें जीवन भर तिरस्कार और हीन भावना का सामना करना पड़ता है उनकी गिनती ना तो स्त्री में होती हैं और नाही ही पुरुष में होती हैं या यूं कहें आधा स्त्री और आधा पुरुष होते हैं. किन्नरों की दुनिया का एक खौफनाक सच ये भी है की यह समाज ऐसे लड़को की तलाश में रहता है जो देखने में सुन्दर हो,जिनकी चाल ढाल थोड़ी कोमल हो जो ऊपर उठाने का ख्वाब देखते हो यह समाज उनसे नजदीकियां बढ़ता है और और मौका मिलते ही उन्हें बधिया कर दिया जाता है बधिया यानी शरीर के उस अंग को काट देना जिसके बाद वह कभी लड़का नहीं रहता.किसी नए व्यक्ति को किन्नर समाज में शामिल करने के कुछ नियम है जिसके लिए कई रीती रिवाज है जिनका पालन करना होता है नए किन्नर को शामूह में शामिल करने से पहले नाच गाना और भोज का आयोजन होता है.
किन्नर के रीति रिवाज बिल्कुल अलग होते हैं उनकी सारी क्रिया-कलाप अनोखी होती है किन्नर साल में एक बार शादी करते हैं और सभी किन्नर अपने आराध्य देव अरावन से 1 दिन के लिए शादी करते हैं अरावन को किन्नरों के देवता माना जाता है.
अरावन कौन है
महाभारत काल में जब अर्जुन को द्रोपती से शादी की एक शर्त को उल्लंघन करने के दोष में 1 साल की तीर्थ यात्रा पर जाना पड़ा था उसी तीर्थयात्रा के दौरान उत्तर पूर्व भारत में अर्जुन की मुलाकात नागलोक की राजकुमारी उलूपी से है होती है दोनों को एक दूसरे से प्यार हो जाता है और दोनों विवाह कर लेते हैं कुछ समय पश्चात उलूपी को पुत्र रत्न की प्राप्ति होती है जिसका नाम अरावन रखा जाता है कुछ समय पश्चात अर्जुन अरावन और अपनी पत्नी उलूपी को छोड़कर आगे की यात्रा पर निकल पढ़ते हैं युवा होने के पश्चात महाभारत के युद्ध के समय अरावन नागलोक छोड़कर अपने पिता अर्जुन के पास आ जाता है तथा अर्जुन अपने पुत्र अरावन को रणभूमि में भेज देते हैं युद्ध में एक समय ऐसा आता है जब पांडवों को जीत के लिए मां काली के चरणों में स्वेच्छा से नरबलि हेतु एक राजकुमार की बलि देने की जरूरत होती है तो इसके लिए अरावन स्वेच्छा से आगे आता है उससे पहले अरावन ये इच्छा जाहिर करता है कि वो अविवाहित नहीं मरना चाहता अब यह संकट सामने आता है कि कौन ऐसी स्त्री होगी जो यह जानते हुए कि 1 दिन पश्चात उसे विधवा होना है यह जानते हुए भी अरावन से शादी करेगी तब श्री कृष्ण मोहिनी रूप धारण कर अरावन से शादी रचाते हैं शादी के दूसरे दिन अरावन स्वेच्छा से मां काली के चरणों में अपना शीश अर्पित कर देता है और मोहिनी रूप धारण श्री कृष्ण अरावन के मृत्यु पर विलाप करते हैं श्री कृष्ण पुरुष होते हुए भी स्त्री रूप में अरावन से शादी करते हैं उसी तरह किन्नर जिन्हें आधा स्त्री आधार पुरुष माना जाता है 1 दिन के लिए अरावन से शादी करते हैं.
किन्नर खुद को मंगल मुखी मानते है वे हर मांगलिक कार्य में शामिल होते है किन्नर राजा महाराजाओ के ज़माने से नाच गा कर अपनी जीविका चलते थे और आज भी कही शादी या कोई शुभ कार्य हो ये शामिल होकर ख़ुशी मानते है और पैसे और भेट आदि लेते है कहा जाता है किन्नरों का श्राप कभी नहीं लेना चाहिए किन्नरों कि दुआ किसी के भी बुरे समय को बदल देती है.
किन्नरों की शव यात्रा
जिस तरह उनकी जीवन शैली अलग होती है उसी तरह शव यात्रा भी अलग होती है किन्नरों की शव यात्रा रात में निकलती है इसमें दूसरे समुदाय को खबर तक नहीं होती यह शव यात्रा बहुत गुप्त तरीके से निकलती है और कोशिश करते हैं कोई इंसान इस शव यात्रा को न देखें और किसी किन्नर की मृत्यु पर यह लोग मातम नहीं है.शव मनातें यात्रा निकालने से पहले शव को जूते चप्पल से मारते हैं इसके पीछे यह मान्यता है कि मृतक को अपने पापो से छुटकारा मिल गया और यह दुआ करते हैं कि अगले जन्म में वह किन्नर के रूप में ना जन्म ले भगवान इसे अच्छी जिंदगी दे.यु तो किन्नर जीवन भर हिन्दू धर्म का पालन करते है परन्तु मृत्यु परान्त उनके शव को जलाने के बजाय दफनाया जाता है !
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