जननी
माँ शब्द है तो एक शब्द पर यह सब सुनकर या बोलकर मन को बहुत शांति मिलती है इस छोटे से शब्द का अर्थ बहुत बड़ा है जिसकी कोई व्याख्या नहीं कर सकता, कहा जाता है एक औरत पूरी तभी होती है जब वह माँ बनती है और एक औरत के लिए अपने जीवन में हर रिश्ते से ज्यादा माँ के रिश्ते को निभाना बहुत कठिन होता है हर रिश्ते में उसे दूसरे से प्रशंसा मिले या उपेक्षा मिले फिर भी सहन हो जाता है पर अगर एक स्त्री एक माँ की जिम्मेदारी निभाने में वह कहीं चूक जाए तो वह खुद से ही हार जाती है,क्योंकि वह कुछ महीने जब वह अपने ही अंश को अपने अंदर पालती है उस वक्त होने वाले हर एहसास को हर पल महसूस करती है उन एहसासों को एक माँ ही महसूस कर सकती है दूसरा कोई नहीं महसूस कर सकता,गर्भावस्था के पहले के 3 महीने जो सबसे कठिनाई से भरे होते हैं पर उस कष्ट में भी एक खुशी का एहसास होता है कि कुछ ही दिन में एक प्यारा सा नन्हा सा बच्चा जीवन में आने वाला है और जब बच्चा पहली बार गर्भ में हलचल करता है तो इंतजार की बेसब्री और बढ़ जाती है कि कब मेरा बच्चा सही सलामत मेरी गोद में होगा.
हर बार बच्चे की हलचल पर खुशी के साथ चिंता भी रहती है मेरा बच्चा ठीक तो है यह ऐसा वक्त होता है जब एक औरत सिर्फ अपने बच्चे के लिए जीती है यह गर्भावस्था के 9 महीने बहुत ही कष्ट के होते हैं जिसमें स्त्री के शारीरिक और मानसिक अवस्था भी बदलती रहती है मन कभी अशांत कभी खुश कभी कष्ट में रहता है शरीर धीरे-धीरे भारी होता जाता है, 9 महीने बाद जब एक नन्हा सा प्यारा सा बच्चा दुनिया में आता है तो उसे गोद में लेते ही जैसे सारे कास्ट ख़त्म हो जाते है ये वो समय होता जब एक माँ की जिम्मेदारी और बढ़ जाती है बच्चे के कोमल स्पर्श से शरीर रोमांचित हो जाता है भगवान ने औरत को ही यह छमता है कि वह एक और जान को जन्म दे सके और उसका लालन-पालन कर सकें, माँ बिना बोले अपने बच्चे की हर इच्छा को समझ लेती है ऐसा सिर्फ तब तक ही नहीं जब तक वह छोटा होता है जीवन भर हर माँ अपने बच्चे के हर दुख और हर सुख को बिना बोले समझती है जब एक माँ अपने बच्चे के पक्ष में बोलती है तो उसमें उस माँ के मातृत्व की भावना होती है और जब एक माँ अपने बच्चे के गलती पर उसे डाटती है तो उसमें भी माँ का एहसास होता है, जब बच्चे को चोट लगती है तो उसका दर्द माँ भी महसूस करती है शायद इसीलिए बच्चा जब गर्भ में होता है तो माँ को तकलीफ होने पर बच्चे को भी हानि पहुंचती है, भगवान की क्या माया है दुनिया में भेजने के साथ-साथ बच्चे के पेट भरने का भी इंतजाम एक माँ के रूप में कर देता है माँ "- ऐसी सुंदर शब्द प्यार और देखभाल का प्रतीक कोई भी मां की जगह नहीं ले सकता है एक निर्दोष बच्चा वह क्षण देख रहा है कि वह माँ को देखता है माँ धरती पर एक और भगवान की तरह है। भगवान हम में से हर एक का ख्याल नहीं रख सकते तो उसने हमें मां दीं एक मां के हथियार हमेशा अपने बच्चों के लिए खुले रहते हैं, चाहे कितना बड़ा हो। अगर हम अपने आस-पास के लोगों से पूछते हैं कि वे अपने जीवन में सबसे ज्यादा किससे प्यार करते हैं, तो उत्तर "मेरी मां" होगी।एक मां खुशी और प्रेम का बंडल है। हम अपनी मां से लड़ते हैं, उन्हें चोट पहुँचाते हैं, लेकिन एक माँ अपने बच्चे की आंखों को गीला नहीं देख सकती। माता सबसे पहले एक बच्चे के जीवन में आती है माँ अपने बच्चे के लिए शिक्षक, एक संरक्षक और मित्र है एक माँ का पूरा दिन अपने बच्चे की,बच्चे की क्या सब की जरूरतों को पूरा करने में ही बीत जाता है माँ एक सामान्य महिला ही होती है पर वह जो कुछ अपने बच्चे के लिए करती है निस्वार्थ बिना किसी उम्मीद के वह सब सामान्य बात नहीं होती है जैसे एक कुम्हार मिट्टी को सुन्दर आकार देता है उसीतरह माँ भी बच्चे को जन्म देती है उसमें अच्छे संस्कार डालती है एक बच्चे के लिए उसकी माँ सबसे पहली अध्यापक है जिस की दी हुई शिक्षा जीवन भर के लिए साथ होती है दुनिया के कोई भी इंसान कैसा भी हो पर एक माँ के लिए उसका बच्चा हमेशा खास होता है कोई भी इंसान जब उसे चोट लगती है या किसी कष्ट में होता है उसके मुंह से सबसे पहले माँ शब्द ही निकलता है . इसीलिए शायद माँ दुर्गा की पूजा दुनिया में सबसे ज्यादा होती है क्योंकि माँ दुर्गा तो जगत जननी है माँ के बारे में एक लेख में कह पाना बहुत मुश्किल है.
किसी ने सच कहा है भगवान हर जगह नहीं हो सकता इसीलिए उसने माँ को बनाया!

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